National Science Day 2024 :-
आप सभी को राष्ट्रीय विज्ञानं दिवस की हार्दिक शुभकामनाये। आप सभी की जनकारी के लिए हम आपको बता दे की हर साल देश में विज्ञानं दिवस को बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है। जैसा की आप सभी को पता ही है की हमारा देश विज्ञानं के प्रति आज कल कितनी ज्यादा तरक्की कर चूका है। देश में दिन प्रतिदिन वैज्ञानिक चीजे बढ़ती जा रही है। अपने देखा होगा की आज कल बहुत विज्ञानं काफी ज्यादा आगे बढ़ गया है। ऐसी बहुत सी चीजे है जिनके बारे में आप सभी ने कभी सोचा भी नहीं था परन्तु विज्ञानं की बझा से आज वो चीजे संभव हो सकी है।
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की आज के समय में भारत देश वैज्ञानिक सूझ बुझ में काफी ज्यादा आगे बढ़ गया है। आज कल आपको बहुत से अविष्कार होते हुए नजर आते होंगे। टेकनोलॉजी काफी ज्यादा बढ़ गयी है। आज के समय में भारत देश का नाम बेहतरीन वैज्ञानिक चीजे के लिए अन्य देशो में लिया जाता है। आइये तो अब हम आपको बताते है की भारत में विज्ञानं दीवान क्यों मनाया जाता है। आज हम आपको विज्ञानं दिवस के इतिहास के बारे में बतांएगे कि हर साल 28 फरवरी को ही क्यों विज्ञानं दिवस मनाया जाता है। विज्ञानं दिवस से जुड़ी सभी जानकारी जानने के लिए जुड़े रहिये हमारे साथ।
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की C.V. Raman जी की याद में हर साल विज्ञानं दिवस को मनाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की C.V. Raman ने 1928 “Raman Effect” की खोज की थी। आपको बता दे की उन्हें अपनी इस खोज के लिए सम्मानित भी किया गया था। आपको बता दे की विज्ञानं दिवस को पहली बार 28 फरवरी 1997 को मनाया गया था। उसके बाद इसे हर साल 28 फरवरी को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। आपको बता दे की देश बार में इस दिन का काफी ज्यादा महत्व होता है। लोग इस दिन को अछि तरह से सेलिब्रेट करते है।
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की इस दिन कई स्थानों पर समारोह किये जाते है ताकि लोगो को विज्ञानं के बारे में जानकारी दी जा सके। सभी लोगो के अंदर इस दिन को लेकर काफी ज्यादा उत्सुकता देखने को मिलती है। स्कूली बच्चो तथा कॉलेजों के बच्चो के लिए इस दिन को विशेष तौर पर मनाया जाता है ताकि उन्हें वञण के बारे में जानकारी मिल सके। क्युकी आगे चल चल इन्ही बच्चो ने देश का नाम रोशन करना है। आपको बता दे की बहुत से वैज्ञानिक संथाओ पर इस दिन कार्यकर्म रखा जाता है।
तथा इस कार्यकर्म मे बहुत से बड़े बड़े वैज्ञानिक शामिल होते है तथा विज्ञानं से जुड़ी बातो के बारे में आम लोगो को बताते है। आज कल विज्ञानं का महत्व काफी ज्यादा बढ़ गया है। अगर देश में वैज्ञानिक न हो तो देश का विकास हो पाना काफी ज्यादा मुश्किल है। देश में आज बहुत से एथनो पर कार्यकर्म का आयोजन किया गया है। तथा इस आयोजन में कई राजनितिक नेता तथा सेलेब्रिटीज़ शामिल होने वाले है। इस आयोजन में कई वैज्ञानिक चीजों के बारे में बताया जाता है तथा कई नई चीजों के अविष्कार के बारे में विचार किया जाता है।
आपको बता दे की इन कार्यकर्मो में लोगो सीवी रमन जी के द्वारा किये गए अविष्कारों के बारे में भी बात की जाती है तथा उन्हें याद किया जाता है। आपको बता दे की आज जिस भी स्थान पर कार्यक्रम होंगे वहा पर आये विज्ञानिको के द्वारा की गयी खोज के बारे में भी उन्हें सम्मानित किया जायेगा नौजवनो को वैज्ञानिक खोज के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। आइये तो अब हम आपको “Raman Effect” के बारे में जनकारी देते है। आपको बताते है की रमन इफ़ेक्ट क्या होता है तथा इसके खोज सीवी रमन ने कैसे की थी।
Raman Effect :-
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की C.V. Raman की सबसे महान खोजो में से एक है “Raman Effect” . आपको बता दे की रमन एक बार लन्दन गए हुए थे तथा उसके बाद जब वो लन्दन से वपस भारत आ रहे होते है तो उन्होंने आते समय देखा की समुन्द्र का रंग हल्का नीला है। उनके मन में कई तरह के सवाल उठने लगे की समुन्द्र का रंग नीला कैसे हो सकता है ? रमन के मन में इस बारे में जानने के लिए उत्सुकता पैदा हो गयी तथा उन्होंने निश्च्य किया की वो इस बारे में जान कर ही रहेंगे की समंदर का रंग नीला क्यों है।
आपको बता दे की रमन जैसे ही भारत पहुंचे उन्होंने इस बारे में खोज करनी शुरू कर दी। खोज करने पर उन्हें पता लगा की जब सूर्य की तेज किरणे किसी ठोस पदार्थ से टकराती है तो उसमे परिवर्तन हो जाता है। यानी की सूर्य की किरणे जब सम्नन्द्र के ऊपर से गुजरती है तो उसका कुछ भाग अलग हो जाता है जिस कारन समुन्द्र का रंग नीला नजर आता है। सीवी रमन की इस खोज को रमन इफ़ेक्ट का नाम दिया गया था। आपको बता दे की रमन जी के द्वारा की गयी इस खोज का इस्तेमाल आज पूरी देश में हो रहा है।
C.V. Raman :-
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की C.V. Raman का पूरा नाम “चंद्रशेखर वैंकट रमन” था। इनका जन्म 7 नवम्बर 1888 में तमिलनाडु में हुआ था। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की रमन के पिता जी मैथ के अध्यापक थे। रमन ने 1907 में MSC की पढ़ाई पूरी की थी। आपको बता दे की मद्रास विश्वविद्यालय में इन्हे गोल्ड मैडल दिया गया था। 1907 से लेकर 1933 तक इन्होने कोलकाता में रह कर “इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस” में काम किया है। आपकी जानकारी के लिए हम बता दे की इस लम्बे समय में उन्होंने अपने काम को बहुत ही अच्छी प्रकार से पूर्ण किया था।
आपको बता दे की रमन जब अपने काम से रिटायर हो गए तो उन्होंने बेंगलुरु में रमन रिसर्च इंस्टीटूड की स्थापना की थी। 1947 में रमन “इंडियन इंस्टीटूड ऑफ़ साइंस” के डायरेक्टर बने थे। आपको बता दे की रमन वो पहले वैज्ञानिक थे जिन्हे न सिर्फ भारत में बल्कि एशिया में नोबल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था। रमन जी का निर्धन 21 नवंबर 1970 को हो गया था।