Bilkis Bano Rape Case :-
आइये तो आज हम आपको बिलकिस बानो के रेप केस के बारे में कुछ जानकारी देते है। आपकी जनकरीब के लिए हम आपको बता दे कि बिलकिस बानो गुजरात की रहने वाली है। आपको बता दे की वर्ष 2002 में गुजरात में हुए दंगो के बीच उग्र भीड़ ने बिलकिस बानो के घर के अंदर घुस कर उनके परिवार के 7 लोगो की हत्या कर दी थी तथा बिलकिस बानो के साथ गैंग रेप किया गया था। आपको बता दे कि जब बिलकिस बानो का गैंगरेप किया गाया तो वह 5 महीने की गर्भवती थी। उन्होंने अपराधियों के सामने इस बात को कबूल किया था परन्तु उन्होंने बिलकिस बानो की एक न सुनी थी।
आपको बता दे कि बिलकिस बानो ने इस बात की रिपोर्ट पुलिस थाने में की थी। उनका केस वर्ष 2002 से चल रहा है। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे कि गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो के रैप केस के 11 दोषियों की सज़ा माफ़ कर दी थी। बिलकिस बानो ने इस बात की शिकायत सुप्रीम कोर्ट में की। आपको बता दे की सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को उनके इस फैसले के लिए चुनौती दी है। आपको बता दे की सुप्रीम कोर्ट ने आज गुजरात सरकार द्वारा किये गए फैसले को बदल दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा बिलकिस बानो के अपराधियों की जो सज़ा माफ़ कर दी थी उसे रद्द कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की बिलकिस बानो के दोषियों को अब फिर से जेल जाना होगा। आपको बता दे की बिलकिस बानो के दोषियों को 2022 में जेल से रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने उनकी सजा माफ़ कर दी थी। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारन अपराधियों को फिर से जेल जाना होगा। आपको बता कि इन दोषियों को CBI की विशेष अदालत ने वर्ष 2008 में उम्र कैद की सज़ा सुनाई थी तथा इस पर मुंबई हाई कोर्ट ने भी अपनी मोहर लगाई थी।
आपको बता दे की जिस भी अपराधी को अदालत उम्र कैद की सज़ा सुनाती है उसे 14 सालो तक जेल में ही सज़ा काटनी पड़ती है।14 साल पूर्ण होने के बाद अपराधी के व्यवहार तथा बात चीत करने के तरिके को देख कर उसकी रिहाई या सज़ा घटाने के बारे में विचार किया जाता है। आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहा पर अपराधी के खिलाफ मुक्दमा चला जहा उससे सजा सुनाई गयी वही राज्य दोषियों की सजा माफ़ करने या न करने का फैसला कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस केस पर अब फैसला गुजरात सरकार नहीं बल्कि महाराष्ट्र सरकार लेगी। आपको बता दे कि बिलकिस बानो के केस को 15 साल बीत चूके है। जिसके बाद दोषियों ने अपनी रिहाई की सरकार के सामने गुहार लगाई थी। जिस के तहत गुजरात सरकार ने दोषियों को उनके माफ़ी मांगने के कारन उन्हें जेल से रिहा कर दिया था।
गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचनाएं दायर की गयी थी। इस याचना के अंतर्गत दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें वापस जेल भेजने की मांग की गयी थी आपको बता दे की जब सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो के दोषियों पर सज़ा सुनाई जा रही थी तो गुजरात सरकार ने ने उनके बचाव में कहा की अपराधियों को सुधार का एक मौका दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट कि क्या दोषियों को माफ़ी मांगने का मौलिक अधिकार है ? इस पर दोषियों के वकील ने कहा कि दोषियों को माफ़ी मांगने का मौलिक अधिकार नहीं है।